मन्दिर- मस्जिद , मठ को मिलने वाली वार्षिकी (Annuity) क्या है ?


जमींदारी उन्मूलन के दौरान वैसे ट्रस्ट मठ मन्दिर-मस्जिद जिन्हें इस उदेश्य से मध्यवर्ती बनाया गया था कि, वे इससे होनेवाली आय से धर्मार्थ एवं परोपकार का कार्य करेंगे; का भी ख्याल रखा गया है .

बी0 एल0 आर0 एक्ट एवं इसके तहत बनी नियमावली में इस हेतु प्रावधान किये गये हैं. अधिनियम में इसे परिभाषित करते हुये कहा गया है कि, रचनात्मक ट्रस्ट जिसका गठन लोक-उदेश्य, परोपकार या धार्मिक प्रकृति का हो जिसे हिन्दू,  मुस्लिम,  क्रिश्चन , बौद्ध या किसी अन्य धर्म का (Charitable Endowment ) धर्मार्थ बन्दोबस्ती हो, वह वार्षिकी (Annuity) का हकदार होगा. 
            परन्तु समाहर्ता धारा 4 (एच) के तहत जाँच कर लेगा कि इसका गठन 1.1.46 के पहले हुआ था अथवा नहीं. जाँच मे सही पाये जाने पर यदि ट्रस्ट की कोई जमींदारी है या वह मध्यवर्ती है तो कमपन्सेशन अफसर कुल वैसी आय की गणना करेगा जो पूर्णतः परोपकार या धर्मार्थ व्यय किया जाता है. इसी गणना के आधार पर मन्दिर- मस्जिद , मठ एवं ट्रस्ट को मिलने वाली वार्षिकी(Annuity) निर्धारित की जाती है. निर्धारित राशि प्रत्येक वर्ष इन्हें पेंशन की तरह भुगतान किया जाना है.


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